एक IC इंजन में, दहन कक्ष के अंदर दहन (combustion) होता है, जिसका अर्थ है कि आंतरिक रूप से ईंधन चार्ज विस्फोट होता है। IC इंजन का कार्य और व्यवस्था इसके प्रकारों के साथ बदलता रहता है। तो हमने इस लेख में विस्तार से चर्चा की है कि IC Engine कितने प्रकार के होते हैं।
विभिन्न मापदंडों जैसे स्ट्रोक की संख्या, ईंधन, दहन चक्र, सिलेंडर संख्या और व्यवस्था, इग्निशन प्रकार, शीतलन प्रकार, इन सब के अनुसार एक IC Engine को निम्नलिखित प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है।
• स्ट्रोक की संख्या (Number of strokes per cycle)
1 – फोर स्ट्रोक इंजन (Four Stroke Engine)
चार स्ट्रोक इंजन के लिए सेवन (Intake), संपीड़न (Compression), पॉवर (Power) और निकास (Exhaust) स्ट्रोक हैं। ये चार स्ट्रोक एक ऑपरेटिंग चक्र को पूरा करते हैं जो दो क्रैंकशाफ्ट revolutions पैदा करता है।
2 – टू स्ट्रोक इंजन (Two Stroke Engine)
इस प्रकार के इंजन में दो पिस्टन स्ट्रोक होते हैं अर्थात एक ऑपरेटिंग साइकिल को पूरा करने के लिए Compression और Expansion स्ट्रोक। ऑपरेशन का चक्र एक क्रैंकशाफ्ट रिवोल्यूशन पैदा करता है।
3 – सिक्स स्ट्रोक इंजन (Six Stroke Engine)
यह एक इंजन की आधुनिक और उन्नत अवधारणा है जिसमें दो स्ट्रोक और चार स्ट्रोक इस प्रकार संयुक्त होते हैं कि एक सिलेंडर दो स्ट्रोक बनाता है और अन्य सिलेंडर चार स्ट्रोक बनाते हैं। इस प्रकार के इंजन को सिक्स स्ट्रोक इंजन का नाम दिया गया है।
• उष्मागतिकी चक्र (Thermodynamic Cycle)
1 – ओटो साइकिल इंजन (Otto Cycle Engine)
SI इंजन ओटो साइकिल पर काम करता है। इस प्रकार के इंजनों के लिए स्पार्क इग्निशन की आवश्यकता होती है। इसके लिए पेट्रोल (गैसोलीन) एक आवश्यक ईंधन है।
2 – डीजल साइकिल इंजन (Diesel Cycle Engine)
डीजल इंजन का मतलब CI इंजन डीजल साइकिल पर काम करता है। इसमें स्पार्क इग्निशन नहीं होता है लेकिन यह इंजन Compression के माध्यम से शक्ति पैदा करता है।
3 – डुअल साइकिल इंजन (Dual Cycle Engine)
इसे मिश्रित चक्र (Mixed Cycle) या सीमित दबाव चक्र (Limited Pressure Cycle) के रूप में भी जाना जाता है। ओटो और डीजल साइकिल मिलकर ड्यूल साइकिल बनाते हैं। इस चक्र पर काम करने वाले इंजन को ड्यूल साइकिल इंजन कहा जाता है। इसमें Constant Volume और Constant Pressure प्रक्रियाएं होती हैं जिनके माध्यम से heat addition होता है।
• ईंधन का प्रकार (Fuel Type)
1 – पेट्रोल इंजन (Petrol Engine)
इस प्रकार के इंजन के लिए पेट्रोल का उपयोग किया जाता है। इसे हवा के साथ जोड़ा जाता है और इलेक्ट्रिक स्पार्क की मदद से दहन कक्ष में दहन किया जाता है।
2 – डीजल इंजन (Diesel Engine)
इस प्रकार के इंजन के लिए डीजल का उपयोग किया जाता है। ईंधन जलाने के लिए स्पार्क की आवश्यकता नहीं होती है। यह केवल कंप्रेशन के माध्यम से जलता है। दहन कक्ष में डीजल उपलब्ध कराने के लिए फ्यूल इंजेक्टर की आवश्यकता होती है।
3 – दोहरी ईंधन इंजन (Dual Fuel Engine)
डुअल फ्यूल इंजन दो तरह के इनटेक चार्ज पर चलता है या तो गैसोलीन या नेचुरल गैस। इस प्रकार के इंजन को द्वि-ईंधन (Bi fuel) इंजन के रूप में भी जाना जाता है।
• इग्निशन विधि (Ignition Method)
1 – स्पार्क इग्निशन इंजन (Spark Ignition Engine)
एसआई (SI) इंजनों को ईंधन चार्ज के रूप में पेट्रोल और ईंधन को जलाने के लिए इलेक्ट्रिक स्पार्क की आवश्यकता होती है। स्पार्क प्लग का उपयोग दहन कक्ष में चिंगारी उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। यह चिंगारी वायु-ईंधन मिश्रण को प्रज्वलित करती है।
2 – कंप्रेशन इग्निशन इंजन (Compression Ignition Engine)
CI इंजन को ईंधन के रूप में डीजल की आवश्यकता होती है। दहन कक्ष के अंदर कंप्रेशन प्रक्रिया के साथ ईंधन का स्वत: प्रज्वलन होता है। इस प्रकार के इंजन में शक्ति उत्पन्न करने के लिए हवा को उच्च दबाव में संपीड़ित (Compress) किया जाता है और ईंधन को इंजेक्ट किया जाता है।
• सिलेंडरों की सँख्या (Number of Cylinders)
1 – सिंगल सिलेंडर इंजन (Single Cylinder Engine)
यह पिस्टन-सिलेंडर की मूलभूत व्यवस्था है। इस प्रकार के इंजन के लिए केवल एक सिलेंडर का उपयोग किया जाता है। यह बहुत ही सरल और कॉम्पैक्ट डिजाइन है।
2 – मल्टी सिलेंडर इंजन (Multi Cylinder Engine)
इस प्रकार के इंजन में दो या दो से अधिक सिलिंडरों का प्रयोग किया जाता है। जब बिजली की आवश्यकता अधिक होती है तो मल्टी सिलेंडर इंजन का उपयोग किया जाता है। चार, छह और आठ सिलेंडर इंजन सबसे लोकप्रिय इंजन हैं।
• सिलेंडर की व्यवस्था के अनुसार (Arrangement of Cylinder)
1 – विपरीत सिलिंडर इंजन (Horizontally Opposed Engine)
क्रैंकशाफ्ट के संबंध में सिलेंडरों को एक दूसरे के विपरीत अरेंज किया जाता है। उनके पास कॉमन क्रैंकशाफ्ट है। इस प्रकार के इंजन को फ्लैट इंजन के रूप में भी जाना जाता है।
2 – वर्टिकल इंजन (Vertical Engine)
पिस्टन की गति लंबवत (Vertically) ऊपर और नीचे होती है। इस प्रकार के इंजन में सिलेंडर के नीचे एक क्रैंकशाफ्ट होता है।
3 – वी – टाइप इंजन (V – Engine)
इस प्रकार के इंजन के लिए सिलिंडरों को किसी angle पर रखा जाता है जो V-आकार का बनाता है। यह कोण आमतौर पर 60 से 90 डिग्री के बीच होता है।
4 – रेडियल इंजन (Radial Engine)
इसे एक पारस्परिक प्रकार के इंजन (स्टार इंजन) के रूप में भी जाना जाता है। सिलेंडरों को केंद्रीय क्रैंककेस से बाहर की ओर एक पहिया प्रकार के आकार में रखा जाता है। यह हमें व्हील और स्पोक व्यवस्था की याद दिलाता है।
5 – इन-लाइन इंजन (In – Line Engine)
यह सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला पारंपरिक इंजन प्रकार है। सिलिंडरों को सीधा मतलब इन-लाइन रखा जाता है। दो, तीन, चार,..आठ सिलेंडर तक एक सीधी रेखा में रखा जा सकता है।
6 – एक्स इंजन (X Engine)
यदि दो V इंजनों को एक ही क्रैंकशाफ्ट के साथ जोड़ा जाता है, तो X – प्रकार का इंजन बनता है जिसका अर्थ है कि आप इसे दूसरे शब्दों में वर्णित कर सकते हैं कि X इंजन दो V प्रकार के इंजनों से बने होते हैं।
7 – विपरीत पिस्टन इंजन (Opposed Piston Engine)
इस प्रकार के इंजन के लिए आमतौर पर पिस्टन जोड़ी द्वारा दहन कक्ष का उपयोग किया जाता है। पिस्टन व्यवस्था सह-अक्षीय (co-axial) प्रकार की होती है लेकिन एक दूसरे के विपरीत होती है। इस प्रकार के इंजन के लिए सिलिंडर हेड अनुपस्थित होता है।
8 – डब्ल्यू इंजन (W Engine)
अंग्रेजी अक्षर W के अनुसार इंजन के सिलेंडर की व्यवस्था होती है। उनके पास एक ही कॉमन क्रैंकशाफ्ट होता है।
• शीतलन प्रणाली के अनुसार (Cooling System)
1 – एयर कूल्ड इंजन (Air Cooled Engine)
इस प्रकार के इंजन में, उपयोग की जाने वाली शीतलन प्रणाली एयर कूल्ड होती है अर्थात गर्मी अपव्यय ( heat dissipation) के लिए वायु प्रवाह की आवश्यकता होती है। हवा के संपर्क में आने वाले एयर कूल्ड इंजन का एक बड़ा सतह क्षेत्र (surface area) होता है।
2 – वॉटर कूल्ड इंजन (Water Cooled Engine)
जैसा कि नाम से पता चलता है कि इंजन के कूलिंग उद्देश्य के लिए पानी का उपयोग शीतलक के रूप में किया जाता है। इंजन ब्लॉक में विभिन्न मार्ग होते हैं जिससे यह पानी शीतलक के रूप में गुजर सकता है।
3 – ऑयल कूल्ड इंजन (Oil Cooled Engine)
इस प्रकार के शीतलक से ऊष्मा अपव्यय काफी हद तक कम हो जाता है। वास्तविक तेल शीतलन प्रणाली के माध्यम से प्रसारित नहीं होता है लेकिन इंजन तेल स्वयं तेल कूलर की सहायता से शीतलक के रूप में कार्य करता है।
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